पीलीभीत का इतिहास और संसारी जानकारी

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पीलीभीत का इतिहास (History of Pilibhit in Hindi)

पीलीभीत उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक और प्राकृतिक रूप से समृद्ध जिला है। यह नेपाल की सीमा के नजदीक स्थित है और अपने वन्यजीव अभयारण्य, धार्मिक स्थलों और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के लिए प्रसिद्ध है।

प्राचीन इतिहास

पीलीभीत का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह क्षेत्र मध्यकाल में पंचाल साम्राज्य का हिस्सा रहा। बाद में यहाँ मौर्य, गुप्त और मुगल साम्राज्य का प्रभाव रहा।

मध्यकालीन काल

  • मुगलकाल में पीलीभीत को “हाफिजाबाद” के नाम से जाना जाता था।
  • अकबर के समय में यह क्षेत्र दिल्ली सल्तनत के अधीन था।
  • रोहिला सरदार हाफिज रहमत खान ने इस क्षेत्र पर शासन किया, जिनके नाम पर इसका नाम हाफिजाबाद पड़ा।
  • बाद में नवाब सआदत अली खान ने इस पर अधिकार किया।

ब्रिटिश काल और स्वतंत्रता संग्राम

  • 1801 में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
  • 1857 की क्रांति में पीलीभीत के लोगों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बगावत में भाग लिया।
  • मंगल पांडे, जिन्होंने बैरकपुर में विद्रोह किया था, का संबंध पीलीभीत से भी माना जाता है।
  • 1900 में पीलीभीत को एक अलग जिला बनाया गया।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

  • पीलीभीत टाइगर रिजर्व यहाँ का प्रमुख आकर्षण है, जहाँ बंगाल टाइगर पाए जाते हैं।
  • नंदा देवी मंदिर, गोलगढ़ दुर्ग और खलील मस्जिद जैसे धार्मिक स्थल यहाँ मौजूद हैं।
  • यह क्षेत्र सूफी संत शाह मदार की धरती भी है, जिनके दरगाह पर हर साल उर्स मनाया जाता है।

आधुनिक पीलीभीत

आज पीलीभीत कृषि, वन्यजीव पर्यटन और हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है। यहाँ की बासमती चावल और लकड़ी की नक्काशी प्रसिद्ध है।

निष्कर्ष: पीलीभीत का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक समृद्ध रहा है, जो इसे उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर बनाता है।

क्या आप पीलीभीत के किसी विशेष पहलू के बारे में और जानना चाहेंगे?

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Jrs Computer सेंटर है। वर्तमान में AmanShantiNews.com में बतौर सब एडिटर कार्यरत हैं, और Sports की खबरें कवर करते हैं। कानपुर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। पत्रकारिता की शुरुआत 2020 में अमन शांति न्यूज से हुई थी। Sports,Business,Technology आदि संबंधी खबरों में दिलचस्पी है।
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