पटना। चुनावी पंडितों और सियासी रणनीतिकारों के तमाम अनुमानों और कयासों को दूर-दूर तक झुठलाते हुए बिहार की जनता ने प्रचंड जनादेश दिया है। तभी शायद जनता को जनार्दन भी कहते हैं, क्योंकि इनके बीच रहकर मतदाताओं के मूड-मिजाज को भांपने का दावा करने वाले भी आज बगलें झांकने पर विवश हो चुके हैं। यह चमत्कार नहीं तो क्या है.!
राजद-कांग्रेस की अगुआई वाला महागठबंधन उड़ सा गया
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जन्मतिथि पर बिहार के ऐतिहासिक जनादेश से राजग की ऐसी आंधी चली, जिसमें राजद-कांग्रेस की अगुआई वाला महागठबंधन उड़ सा गया। तो बड़े-बड़े दावों के साथ पेशगी करता तथाकथित तीसरा विकल्प ध्स्त हो गया।
मतगणना का परिणाम वर्ष 2010 जैसा दिखा
शुक्रवार को हुई मतगणना का परिणाम वर्ष 2010 जैसा दिखा, जब नीतीश सरकार के पहले कार्यकाल पर खुश व बेहतरी के प्रति आश्वस्त होकर जनता ने 206 सीटों का तोहफा दिया था। लगातार बीस वर्ष के शासनकाल के प्रति न कहीं नाराजगी दिखी और न सरकार के प्रति अविश्वास। 2010 में जदयू सबसे बड़ी पार्टी थी।
इस बार 89 सीटें जीतकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। जदयू को 85 सीटें मिली हैं। मतदाताओं ने भी 243 में 202 सीट देकर किए गए वादों के पूरा होने की अपेक्षा जता दी। महागठबंधन 36 सीटों पर सिमट गया। अन्य को छह सीटें मिली हैं।