Meerut News। सदर तहसील में तैनात वरिष्ठ लिपिक ने 17 वर्ष सात माह की उम्र में ही नियमविरुद्ध नौकरी प्राप्त कर ली। नौकरी मिलने के 38 साल बाद हुई जांच में इसका राजफाश हुआ।
उक्त लिपिक को वर्ष 2020 में मवाना तहसील में तैनाती के दौरान एंटी करप्शन टीम ने रिश्वत लेते पकड़ा था। इसके बाद से उसकी संपत्तियों की खुली जांच भी एंटी करप्शन द्वारा की जा रही है। चूंकि, लिपिक के नियुक्ति अधिकारी डीएम हैं, इसलिए कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट के साथ डीएम को अपने स्तर से कार्रवाई करने का आदेश दिया है। डीएम ने आरोपित लिपिक को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है।
मीनाक्षीपुरम निवासी सेना के सेवानिवृत्त कैप्टन ओमबीर सिंह ने सदर तहसील में तैनात वरिष्ठ लिपिक सुल्लड़ सिंह पर फर्जी नियुक्ति और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए 10 बिंदुओं पर शिकायत की थी। मंडलायुक्त ने एडीएम प्रशासन, एडीएम वित्त और मुख्य कोषाधिकारी समेत तीन अधिकारियों की जांच समिति गठित की थी।
समिति ने जांच में लिपिक की नियुक्ति में धांधली के आरोप को सही पाया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 30 जून 1987 को सुल्लड़ सिंह की नियुक्ति बतौर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हुई थी जबकि उसके दस्तावेजों में जन्मतिथि एक दिसंबर 1969 अंकित है। इसके मुताबिक नियुक्ति के समय उनकी आयु 17 वर्ष 6 माह 29 दिन थी जबकि नियुक्ति के लिए आयुसीमा 18 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
समिति ने माना कि उनकी नियुक्ति सेवा नियमावली के विपरीत हुई है। वर्ष 2020 में मवाना तहसील में तैनाती के दौरान एंटी करप्शन टीम द्वारा रिश्वत लेते पकड़े जाने, निलंबित किए जाने और उनकी संपत्ति की एंटी करप्शन द्वारा जांच किए जाने की पुष्टि भी जांच समिति ने की है।
कमिश्नर के आदेश पर डीएम ने दिया नोटिस
जांच में लिपिक की नियुक्ति नियम विरुद्ध पाई गई है। लिपिक के नियुक्ति अधिकारी डीएम हैं। लिहाजा कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट के साथ डीएम को अपने स्तर से कार्रवाई करने का आदेश दिया है। डीएम ने आरोपित लिपिक को नोटिस जारी करके अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।