नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने पतंजलि के च्यवनप्राश के एक विज्ञापन पर रोक लगाते हुए तीन दिनों के अंदर उसके प्रसारण और प्रकाशन को बंद करने का आदेश दिया है।
यह आदेश जस्टिस तेजस करिया ने डाबर इंडिया बनाम पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड मामले की सुनवाई के दौरान दिया। अदालत ने सभी टीवी चैनलों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ओटीटी सेवाओं और समाचार पत्रों को निर्देश दिया है कि वे इस विज्ञापन को तुरंत हटाएं, ब्लॉक करें या निष्क्रिय करें।
डाबर इंडिया ने अपनी याचिका में कहा था कि पतंजलि का यह विज्ञापन अपमानजनक और भ्रामक है। विज्ञापन में बाबा रामदेव उपभोक्ताओं को चेतावनी देते हुए कहते हैं कि “च्यवनप्राश के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है।” विज्ञापन में अन्य ब्रांडों के उत्पादों को धोखा बताया गया था और पतंजलि च्यवनप्राश को ही “आयुर्वेद की असली शक्ति देने वाला” बताया गया था।
कोर्ट ने कहा कि किसी भी कंपनी को अपने उत्पाद की तुलना अन्य उत्पादों से करने का अधिकार है, लेकिन दूसरे ब्रांडों का अपमान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। पिछली सुनवाई में भी अदालत ने पतंजलि से पूछा था कि वह अन्य च्यवनप्राश ब्रांडों को ‘धोखा’ कैसे कह सकता है और सुझाव दिया था कि कंपनी को अपने विज्ञापन में शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि के उस विज्ञापन पर रोक लगाई है जिसमें अन्य च्यवनप्राश ब्रांडों को धोखाधड़ी बताया गया था। अदालत ने तीन दिनों के भीतर विज्ञापन हटाने के आदेश दिए हैं।