Rajasthan ! मिट्टी से बना एशिया का सबसे बड़ा मोरेल बांध हुआ ओवरफ्लो, लगातार दूसरे साल भी छलक रहा

Aditi Singh
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Rajasthan ! दौसा और सवाई माधोपुर के किसानों के लिए खुशखबरी है। मोरेल बांध, जो एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांधों में से एक है, लगातार दूसरे साल लबालब भर गया है। जुलाई में ही बांध के ओवरफ्लो होने से किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिलेगा और भूजल स्तर भी सुधरेगा। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने बांध पर कटीले तार लगाए हैं और सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं।

मोरेल बांध दौसा और सवाई माधोपुर जिले के हजारों किसानों के लिए जीवन रेखा है। यह लगातार दूसरे साल भी छलक गया है। शुक्रवार को बांध पूरा भर गया था। शुक्रवार शाम को इस पर लगभग दो इंच की चादर चल रही थी। शनिवार सुबह यह चादर लगभग दस इंच की हो गई है। इस नजारे को देखने के लिए बहुत सारे लोग आ रहे हैं और इसका आनंद ले रहे हैं।

पिछले साल भी मोरेल बांध पर लगभग 90 दिनों तक चादर चली थी। इससे किसानों को खूब पानी मिला और भूजल स्तर भी ऊपर आया था। इस साल भी अच्छी बारिश होने से बांध जुलाई में ही ओवरफ्लो हो गया है। पिछले तीन दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है कि बांध जुलाई में ही भर गया है। इससे पहले यह बांध जुलाई में केवल 1985 में भरा था। 1998, 2019 और 2024 में यह अगस्त में लबालब हुआ था।

बांध पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए वेस्ट वेयर के 90 मीटर हिस्से में कटीले तार लगाए गए हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि लोग पानी के तेज बहाव में न बह जाएं। इसके अलावा, बांध के किनारे एक हजार मिट्टी से भरे कट्टे रखे गए हैं। दिन में दो सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए हैं ताकि किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके।

बता दें कि मोरेल बांध 1952 में दौसा और सवाई माधोपुर जिले की सीमा पर कांकरिया गांव के पास मोरेल नदी पर बनाया गया था। 1982 की बाढ़ में यह बांध टूट गया था, जिसके कारण यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था। इसके बाद बांध की मरम्मत की गई और इसे और भी मजबूत बनाया गया। इस बांध की दो मुख्य नहरों से हर साल रबी की फसलों के लिए सिंचाई का पानी छोड़ा जाता है। मोरेल बांध से लगभग 19 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है।

दौसा जिले से गुजरने वाली पूर्वी नहर 31.4 किलोमीटर लंबी है। इससे कुल 28 गांवों के किसानों को सिंचाई का फायदा मिलता है। इनमें दौसा के 13 और सवाई माधोपुर के 15 गांव शामिल हैं। अकेले दौसा जिले में 1736 हेक्टेयर भूमि पर इस नहर से सिंचाई होती है। मोरेल बांध के दोबारा भरने से किसानों को राहत मिली है। उन्हें उम्मीद है कि भूजल स्तर में भी सुधार होगा। अब किसान निश्चिंत होकर रबी की फसल की तैयारी कर सकेंगे। प्रशासन ने सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए हैं।

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