Bihar Politics। कुटुंबा सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बन गया है। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए इस विधानसभा क्षेत्र का विस्तार तीन प्रखंडों – देव, कुटुंबा और नबीनगर – में हुआ है। यहां का राजनीतिक इतिहास हमेशा से दलों के बदलते समीकरणों और जातीय संतुलन के कारण रोचक रहा है।
वर्ष 2010 के चुनाव में जदयू के प्रत्याशी ललन राम ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 2015 में कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश राम ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रत्याशी संतोष सुमन को हराया। संतोष सुमन, हम सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पुत्र हैं। 2020 के चुनाव में राजेश राम ने हम के श्रवण भुइयां को पराजित कर दूसरी बार जीत दर्ज की थी।
इस चुनाव में राजेश राम को लगभग 50 हजार वोट मिले थे, जबकि श्रवण भुइयां को लगभग 34 हजार और निर्दलीय प्रत्याशी ललन राम को लगभग 20 हजार मत प्राप्त हुए थे। अब 2025 के चुनाव में एक बार फिर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। इस बार ललन राम एनडीए समर्थित हम पार्टी से चुनावी मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम अपनी तीसरी जीत (हैट्रिक) के लिए संघर्षरत हैं।
श्रवण भुइयां आम आदमी पार्टी से चुनावी मैदान में उतरे हैं, जिससे त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बन गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार का चुनाव कुटुंबा में रोमांचक रहेगा। मतदाता यह तय करेंगे कि क्या कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम अपनी जीत की हैट्रिक पूरी करेंगे या फिर हम के प्रत्याशी ललन राम अपनी हार का बदला लेकर मैदान मारेंगे।
कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,71,697 मतदाता हैं, जिनमें 1,44,569 पुरुष, 1,27,123 महिलाएं और पांच थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 350 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें नबीनगर में 101, कुटुंबा में 210 और देव प्रखंड में 39 केंद्र शामिल हैं।