हाथरस का इतिहास और ऐतिहासिक महत्व

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हाथरस (Hathras) का इतिहास

हाथरस उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर है, जो अलीगढ़ मंडल में स्थित है। इसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है और यह क्षेत्र विभिन्न साम्राज्यों व संस्कृतियों का केंद्र रहा है।

प्राचीन इतिहास

  • हाथरस का प्राचीन नाम “हस्तिनापुर” या “हाथरस” माना जाता है, हालाँकि यह महाभारत काल के हस्तिनापुर (मेरठ के पास) से अलग है।
  • यह क्षेत्र मौर्य, गुप्त और गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्यों के अधीन रहा।
  • पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि यहाँ बौद्ध और जैन संस्कृतियों का भी प्रभाव था।

मध्यकालीन इतिहास

  • दिल्ली सल्तनत (1206–1526) के समय हाथरस मुस्लिम शासकों के अधीन आया।
  • मुगल काल में यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था और आगरा सूबे का हिस्सा था।
  • सूर्यवंशी राजपूतों ने यहाँ किले बनवाए, जिनके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।

ब्रिटिश काल

  • 1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया।
  • 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हाथरस के स्थानीय लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की।
  • ब्रिटिश शासन में यह आगरा जिले का हिस्सा था, लेकिन बाद में इसे अलग जिला बना दिया गया।

स्वतंत्रता के बाद

  • 1947 के बाद हाथरस उत्तर प्रदेश का हिस्सा बना।
  • 1997 में इसे हाथरस जिला घोषित किया गया।
  • आज यह कृषि, उद्योग और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।

धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व

  • हाथरस भगवान बाल्कृष्ण (लल्ला जी) के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिसे “हाथरस वाले बालाजी” के नाम से जाना जाता है।
  • यहाँ का किला और जैन मंदिर भी ऐतिहासिक धरोहर हैं।

हाथरस का इतिहास समृद्ध और गौरवशाली रहा है, जो भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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Jrs Computer सेंटर है। वर्तमान में AmanShantiNews.com में बतौर सब एडिटर कार्यरत हैं, और Sports की खबरें कवर करते हैं। कानपुर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। पत्रकारिता की शुरुआत 2020 में अमन शांति न्यूज से हुई थी। Sports,Business,Technology आदि संबंधी खबरों में दिलचस्पी है।
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