Jammu Kashmir : एक नए पावर टैरिफ सिस्टम में बदलाव के बाद कश्मीर में बिजली यूटिलिटी ने कठोर सर्दियों से पहले पीक आठ घंटों के दौरान बिजली पर अतिरिक्त 20 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव दिया है एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह कदम केंद्र सरकार द्वारा टाइम ऑफ डे (TOD) टैरिफ सिस्टम की शुरुआत के बाद आया है, जिसमें जम्मू और कश्मीर सहित देश भर में बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMS) को आठ घंटे (Solar Hours) के दौरान टैरिफ अधिभार लगाना अनिवार्य है.
KPDCL के मैनेजिंग डायरेक्टर महमूद शाह ने ईटीवी भारत को बताया, “टैरिफ सबचार्ज कश्मीर-स्पेसिफिक नहीं है, बल्कि पूरे देश में अनिवार्य है. यह निर्णय JERC के पास है.” नई टैरिफ प्रणाली, जिसे टाइम ऑफ डे (TOD) टैरिफ सिस्टम के रूप में जाना जाता है. इसको बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 में संशोधन के माध्यम से पेश किया गया था.
पीक आवर्स के दौरान अधिक टैरिफ
नई बिजली मूल्य निर्धारण दिन के समय के आधार पर अलग-अलग दरें लेती है. इसका मतलब है कि पीक आवर्स के दौरान टैरिफ दिन के समय की तुलना में 10 से 20 प्रतिशत अधिक होगा. 10 किलोवाट से अधिक की अधिकतम मांग वाले कमर्शियल और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए टीओडी टैरिफ 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी किया गया है. कृषि को छोड़कर बाकी घरेलू और गैर-घरेलू उपभोक्ताओं को 1 अप्रैल, 2025 तक सरचार्ज का पालन करना चाहिए. ऐसा जून 2023 को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है.
उन्होंने कहा, “स्मार्ट मीटर लगने के तुरंत बाद टाइम ऑफ डे टैरिफ लागू कर दिया जाएगा.” कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KPDCL) ने संयुक्त विद्युत नियामक आयोग (JERC) में सुबह और शाम के समय उपभोक्ताओं पर 20 प्रतिशत अधिभार बढ़ाने की याचिका दायर की है. अर्ध-न्यायिक जेईआरसी, जो प्रस्ताव को मंजूरी देने या खारिज करने से पहले जनता के सुझाव मांगने के लिए अधिकृत है, उसने एक दिन पहले श्रीनगर में एक सार्वजनिक सुनवाई की थी.”
याचिका की एक कॉपी से पता चला है कि अतिरिक्त टैरिफ घरेलू और गैर-घरेलू क्षेत्रों में पीक आवर्स के दौरान प्रस्तावित किया गया है, जिसे रोजाना सुबह छह बजे से नौ बजे और शाम पांच बजे से 10 बजे तक परिभाषित किया गया है. कृषि क्षेत्र को छोड़कर, घरेलू उपभोक्ताओं, उद्योगों, सरकार और सार्वजनिक यूटिलिटी के लिए अधिभार की मांग की गई है.
मीरवाइज उमर बताया अन्याय
घाटी के मुख्य मौलवी मीरवाइज उमर सहित राजनीतिक नेताओं ने इस कदम को लोगों के साथ गंभीर अन्याय बताया और सरकार से बढ़ोतरी वापस लेने का आग्रह किया. श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में शुक्रवार को अपने खुतबे में इसे उजागर करने वाले मीरवाइज ने कहा, “लोग पहले से ही आर्थिक संकट से बचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि व्यवसाय गिरावट में हैं और बिजली की दरें बढ़ाना, वह भी सर्दियों की शुरुआत से पहले सरकार की जियादती है. गरीबों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली की प्रतिबद्धता को पूरा करने के बजाय, लोगों पर नया बोझ डाला जा रहा है.”
‘सर्दी अस्तित्व की लड़ाई’
पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पारा ने बिजली की दरें बढ़ाने से पहले जम्मू-कश्मीर सरकार से जमीनी आकलन करने को कहा. उन्होंने आगे कहा, “पॉश इलाकों में लोग इसे महसूस नहीं कर सकते हैं, लेकिन आम कश्मीरियों के लिए, सर्दी अस्तित्व की लड़ाई है.”
उन्होंने कहा, “कश्मीर में बिजली कोई लग्जरी नहीं है, यह लाइफ सपोर्ट है. ऐसे समय में जब परिवार पहले से ही संघर्ष कर रहे हैं, गरीबों और मध्यम वर्ग पर बिजली शुल्क बढ़ाना क्रूर और विनाशकारी होगा. मानवीय पीड़ा को नजरअंदाज करने वाली नीतियों का न्यायपूर्ण प्रशासन में कोई स्थान नहीं है.”
इसी तरह अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा कि KPDCL का पीक आवर्स के दौरान बिजली दरों पर 20 प्रतिशत अधिभार लगाने का प्रस्ताव उन लोगों के साथ गंभीर अन्याय है जो पहले से ही आर्थिक संकट से बचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “सरकार का नैतिक कर्तव्य है कि वह इस तरह के कठोर उपाय को लागू करने के बारे में सोचने से पहले लोगों की आर्थिक कठिनाइयों पर विचार करे. कठोर सर्दियों के दिनों के करीब आने के साथ, मैं अधिकारियों से आग्रह करता हूं कि पहले से ही बोझ तले दबे और पीड़ित लोगों पर कुछ दया दिखाएं.”
नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा, ” कश्मीरी सर्दियों में बिजली एक आवश्यकता है, न कि लग्जरी उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों पर ऐसे किसी भी अनुचित और गलत समय पर आए प्रस्ताव का बोझ नहीं डालने देगी.”