Kanpur News : वालों को सरकारी दफ्तरों के नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर, 300 करोड़ से बनने जा रहा ‘CBD सेंटर’

सतीश कुमार

Kanpur News। शहर की ऐतिहासिक म्योर मिल की जमीन अब पूरी तरह से सरकार के कब्जे में आ गई है। प्रशासन इस भूमि पर आधुनिक सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट सेंटर (सीबीडीसी) विकसित करने की योजना को अंतिम रूप देने जा रहा है।

करीब 300 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना में 43 विभागों के मंडलीय कार्यालय एक ही परिसर में स्थापित किए जाएंगे। इससे जनता को एक ही स्थान पर सभी सरकारी सेवाएं उपलब्ध होंगी और विभागों के बीच समन्वय भी बेहतर होगा।

शुक्रवार देर शाम मंडलायुक्त शिविर कार्यालय सभागार में हुई बैठक में केडीए सचिव अभय पांडेय ने मंडलायुक्त के. विजयेन्द्र पांडियन को परियोजना का प्रारूप दिखाया। इस दौरान केडीए उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल और एडीएम वित्त विवेक चतुर्वेदी भी उपस्थित रहे।

केडीए सचिव ने बताया कि निर्माण कार्य के लिए तकनीकी टेंडर जारी किए जा चुके हैं, जिनमें तीन कंपनियों ने भाग लिया है। अब एक सप्ताह के भीतर वित्तीय नीलामी प्रक्रिया पूरी कर डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) को अंतिम रूप दिया जाएगा। जिसके बाद कार्यदायी संस्था परिसर में निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करेगी।

इस परियोजना में केडीए लगभग 300 करोड़ रुपये का बजट खर्च करेगा। मंडलायुक्त ने बताया कि म्योर मिल परिसर शहर के बीचोंबीच होने के कारण प्रशासनिक दृष्टि से अत्यंत उपयुक्त स्थान है। यहां पर आधुनिक भवनों, मीटिंग हाल, पार्किंग, नागरिक सुविधा केंद्र और डिजिटलाइज्ड रिकार्ड सिस्टम की व्यवस्था की जाएगी। सभी मंडलीय कार्यालय एक परिसर में आ जाने से लोगों को विभिन्न विभागों में भटकना नहीं पड़ेगा और सरकारी कार्यों की गति में भी तेजी आएगी।

प्रशासन ने म्योर मिल की जमीन पर लिया कब्जा वापस

सिविल लाइंस स्थित लगभग 15 हेक्टेयर (डेढ़ लाख वर्गमीटर) क्षेत्रफल वाली म्योर मिल की जमीन पर बीते सप्ताह प्रशासन ने औपचारिक रूप से कब्जा लेने की कार्रवाई पूरी की है।

एडीएम वित्त विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि नजूल अभिलेखों के अनुसार यह भूमि वर्ष 1861 में द कानपुर म्योर मिल को लीज पर दी गई थी। वर्ष 1930 में लीज का नवीनीकरण हुआ था, लेकिन उसके बाद कभी भी रिन्यू नहीं कराया गया। न तो लीज रेंट जमा किया गया और न ही भूमि का उपयोग उसके मूल उद्देश्य कपड़ा उत्पादन के लिए किया गया।

सत्यापन समिति की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि भूमि अब औद्योगिक उपयोग में नहीं है। शासन ने आठ अक्टूबर 2025 को इस जमीन को नजूल रिकार्ड में दर्ज करने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी किया, जिसके बाद कब्जा लेने की कार्रवाई पूरी की गई है। वहीं म्योर मिल की जमीन में रहने वाले परिवारों को नोटिस जारी करके कब्जा खाली कराने की कार्रवाई की जा रही है।

139 साल पहले हुई थी मिल की स्थापना

म्योर मिल की स्थापना 139 साल पहले वर्ष 1886 में हुई थी। यह शहर की सबसे बड़ी टेक्सटाइल मिलों में गिनी जाती थी। 2012 में मिल बंद होने से पहले यहां करीब 6300 मजदूर कार्यरत थे। बंदी के बाद कर्मचारियों को वीआरएस दिया गया था, हालांकि कुछ मजदूरों ने विरोध भी किया। मिल की अधिकांश मशीनें बिक चुकी हैं और अब परिसर में सुरक्षा के लिए केवल कुछ गार्ड तैनात रहते हैं।

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Satish Kumar Is A Journalist With Over 10 Years Of Experience In Digital Media. He Is Currently Working As Editor At Aman Shanti, Where He Covers A Wide Variety Of Technology News From Smartphone Launches To Telecom Updates. His Expertise Also Includes In-depth Gadget Reviews, Where He Blends Analysis With Hands-on Insights.
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