Moradabad News । पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना की 40 वर्ष पुरानी मांग को लेकर वकीलों ने फिर से आंदोलन को तेज कर दिया है। हाईकोर्ट स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आह्वान पर बुधवार को दि बार एसोसिएशन एंड लाइब्रेरी मुरादाबाद के अधिवक्ताओं ने सांसद रुचि वीरा के आवास का घेराव किया और उन्हें ज्ञापन सौंपकर आगामी संसद सत्र में यह मुद्दा मजबूती से उठाने की मांग की।
एसोसिएशन के अध्यक्ष आनंद मोहन गुप्ता और महासचिव कपिल गुप्ता के नेतृत्व में बड़ी संख्या में अधिवक्ता सिविल लाइंस स्थित सांसद आवास पहुंचे। संघर्ष समिति के बैनर तले जुटे वकीलों ने सांसद आवास का घेराव करते हुए कहा कि सहारनपुर से इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूरी करीब 750 किलोमीटर और मैनपुरी से 450 किलोमीटर से अधिक है जो न्याय पाने वाले आम नागरिकों के लिए भारी आर्थिक और शारीरिक बोझ है।
वकीलों ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट, ग्वालियर पीठ और राजस्थान हाईकोर्ट इन सबकी दूरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से इलाहाबाद हाईकोर्ट की तुलना में कहीं कम है। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेंच न होना सस्ता और सुलभ न्याय की अवधारणा के खिलाफ है। एसोसिएशन के महासचिव कपिल गुप्ता ने कहा कि संघर्ष समिति के आह्वान पर सांसद आवास का घेराव किया गया है। अगर आगामी संसद सत्र में यह मुद्दा नहीं उठाया गया तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा।
बार के अध्यक्ष आनंद मोहन गुप्ता ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच का मुद्दा सिर्फ वकीलों का नहीं बल्कि जनमानस का है। पश्चिम उत्तर प्रदेश की करोड़ों की आबादी न्यायिक परेशानियों से गुजर रही है। जब तक सब मिलकर प्रयास नहीं करेंगे हाईकोर्ट बेंच की स्थापना नहीं हो पाएगी। अधिवक्ताओं ने कहा कि पश्चिमी यूपी की जनता को किसी मामले पर सुनवाई के लिए 700-800 किलोमीटर तक की यात्रा करनी पड़ती है जबकि अन्य राज्यों में इसी स्तर पर बेंच उपलब्ध है। इसलिए यह न्यायिक समानता का भी प्रश्न है।
ज्ञापन सौंपते समय अधिवक्ताओं ने सांसद रुचिवीरा से आग्रह किया कि वह संसद के शीतकालीन सत्र में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाएं और इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकारों की लड़ाई के रूप में प्रस्तुत करें। प्रदर्शन करने वालों में पूर्व अध्यक्ष आदेश श्रीवास्तव, अशोक कुमार सक्सेना, राकेश कुमार, राकेश जौहरी, अभिषेक भटनागर, आदित्य कुमार श्रीवास्तव, आबिद अली, शहजादा सलीम, रेनू गुप्ता, आराधना शर्मा, शाइस्ता परवीन, मुश्तर अली, अजय बंसल और आशीष उपाध्याय समेत कई वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल रहे।