बलरामपुर का इतिहास (History of Balrampur in Hindi)

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बलरामपुर का इतिहास (History of Balrampur in Hindi)

बलरामपुर उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख जिला एवं नगर है, जिसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है।

प्राचीन इतिहास

  • बलरामपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों का उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों में मिलता है।
  • यह क्षेत्र कोसल महाजनपद का हिस्सा था, जिसकी राजधानी श्रावस्ती (वर्तमान सहेत-महेत) थी।
  • गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ने इस क्षेत्र में यात्राएँ की थीं, और यह बौद्ध एवं जैन धर्म का प्रमुख केंद्र रहा।

मध्यकालीन इतिहास

  • मध्यकाल में यह क्षेत्र विभिन्न हिंदू और मुस्लिम शासकों के अधीन रहा।
  • मुगल काल में यह अवध क्षेत्र का हिस्सा था।
  • 18वीं शताब्दी में अवध के नवाबों ने इस पर शासन किया।

आधुनिक काल

  • ब्रिटिश शासन के दौरान बलरामपुर रियासत एक प्रमुख सामंती राज्य था, जिस पर बलरामपुर के राजा शासन करते थे।
  • 1947 में भारत की आज़ादी के बाद बलरामपुर रियासत का भारतीय संघ में विलय हो गया।
  • 1997 में बलरामपुर को एक अलग जिला घोषित किया गया, जो पहले गोंडा जिले का हिस्सा था।

धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व

  • बलरामपुर में कई प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जैसे देवी पाटन मंदिर, जो 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
  • यहाँ का तुलसी स्मारक भवन भी प्रसिद्ध है, जहाँ संत तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी।

आज का बलरामपुर

आज बलरामपुर एक विकासशील जिला है, जहाँ कृषि, शिक्षा और पर्यटन का महत्व है। यहाँ की संस्कृति में अवधी परंपराओं की छाप स्पष्ट दिखाई देती है।

इस प्रकार, बलरामपुर का इतिहास प्राचीन गौरव, मध्यकालीन विरासत और आधुनिक विकास की एक अनूठी गाथा कहता है।

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Jrs Computer सेंटर है। वर्तमान में AmanShantiNews.com में बतौर सब एडिटर कार्यरत हैं, और Sports की खबरें कवर करते हैं। कानपुर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। पत्रकारिता की शुरुआत 2020 में अमन शांति न्यूज से हुई थी। Sports,Business,Technology आदि संबंधी खबरों में दिलचस्पी है।
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