Farrukhabad News : श्रीगणेश-लक्ष्मी का पूजन कर मांगी सुख-समृद्धि

सतीश कुमार

Farrukhabad News। जिले भर में प्रकाश का पर्व दिवाली श्रद्धा व उल्लास के साथ पारंपरिक तरीके से मनाया गया। दिवाली पर पूरा शहर रंगबिरंगी रोशनी से नहा गया और घर-घर में रोशनी रही। लोगों ने अपने घरों पर भगवान श्रीगणेश-लक्ष्मी के साथ-साथ कुबेर भगवान की विधिवत पूजा अर्चना की और परिवार में सुख शांति की कामना की।

इस मौके पर लोगों ने स्वादिष्ट व्यंजन व मिठाइयों का भोग भी लगाया। घर पर पूजा के बाद लोगों ने शहर के मंदिरों में भी दीये जलाये और परिवार के सुख शांति मांगी। शहर में देर रात तक आतिशबाजी भी सिलसिला चलता रहा।

दीपों के पर्व दिवाली पर महंगाई की मार स्पष्ट नजर आई। इसके बाद भी सुबह से ही बाजारों में भीड़ उमड़ने लगी। चौक, रेलवे रोड, घुमना बाजार, लोहाई रोड, कोतवाली रोड फतेहगढ़ और भोलेपुर आदि बाजारों में लोग खरीदारी कर रहे थे। कोई गणेश-लक्ष्मी तो कोई दीया व खील-खिलौने खरीद रहा था। मिठाई की दुकानों पर भी खरीदारों की भीड़ लगी थी।

क्रिश्चियन इंटर कॉलेज में पटाखा दुकानों पर लोगों ने जमकर खरीदारी की। शाम को शुभ मुहूर्त में दुकानों और घरों में गणेश-लक्ष्मी का पूजन किया गया। छोटों ने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

आसमान में सतरंगी आतिशबाजी से बिखरी छटा
गणेश-लक्ष्मी पूजन के बाद लोग घर की छतों और घर के बाहर सड़कों पर आ गए। बच्चों और युवाओं ने जमकर आतिशबाजी छुड़ाई। आतिशबाजी छुड़ाते समय बड़े बच्चों का ध्यान रख रहे थे। आसमान मे स्काई शॉट, रॉकेट आदि से सतरंगी छटा दिखाई दी। देर रात तक आतिशबाजी की गूंज सुनाई दे रही थी। (संवाद)
मंदिरों में उमड़ी भीड़
घरों पर पूजन के बाद लोगों ने मंदिर में दर्शन करने के लिए उमड़े। शहर के रेलवे रोड स्थित श्री पांडवेश्वरनाथ मंदिर, मठिया देवी मंदिर, गुरुगांव देवी, वैष्णों देवी मंदिर, बड़े हनुमान मंदिर भोलेपुर और शीतला देवी मंदिर बढ़पुर में दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ रही। (संवाद)
101 रुपये तक का बिका कमल
दिवाली पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए फूल खरीदने वालों की दुकानों पर भीड़ लगी रही। गुलाब का फूल पांच रुपये का एक तो वहीं कमल का फूल 101 रुपये तक बिका।
फूल विक्रेता गोपाल सैनी, अनुज सैनी ने बताया कि देशी गुलाब का फूल कुछ घंटों में ही खराब हो जाता है। वहीं फार्मी गुलाब दो दिनों तक ताजा बना रहता है। आम के पत्तों की वंदनवार और कुबेरजी को पहनाने के लिए फूलों की माला की ज्यादा डिमांड रही।

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